आयकर विभाग के निर्देश: अब इतने रुपये की प्रॉपर्टी पर होगा टैक्स

Harjinder Singh  - News Editor
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Income Tax

यदि आप अपने बचत खाते में 10 लाख रुपए या करंट अकाउंट में 50 लाख रुपए जमा करते हैं, या 30 लाख से अधिक की कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो आयकर रिटर्न (ITR) में इस संबंधित जानकारी को न देने के बावजूद, यह Income Tax विभाग के पास पहुंच जाती है। इस आधार पर, संबंधित विभागों को 31 मई से पहले पिछले वित्तीय वर्ष की वित्तीय लेन-देन की घोषणा (SFT) दर्ज करनी होती है।

SFT की मदद से, ITR में इस प्रकार की लेन-देन या खरीद की जानकारी को छिपाने वाले व्यक्तियों की पहचान हो सकती है। इसके पश्चात्, विभाग द्वारा एक सूचना भेजकर इस प्रकार की लेन-देन या खरीद की जानकारी की मांग की जाती है। यदि आपका प्रतिसाद संतोषजनक नहीं होता है, तो जांच-पूर्व के बाद आप पर आयकर लगाया जा सकता है। वे व्यक्तिगत जो एसएफटी की जानकारी नहीं प्रदान करते हैं, पर प्रतिदिन एक हजार रुपये का जुर्माना लगा सकता है।

SFT से प्राप्त जानकारी के

बैंक, रजिस्ट्री ऑफिस, वित्तीय संस्थान आदि, सभी को एसएफटी की जानकारी प्रदान करने के लिए निर्देश दिए गए हैं। इस जानकारी में पैन या यूआईडी का उल्लेख होता है, जिससे आयकर विभाग की टीम ITR भरने वालों की पहुंच को सुनिश्चित कर सकती है। ITR में अनडिस्क्लोज्ड ट्रांजैक्शन का उल्लेख न करने वाले व्यक्तियों को एसएफटी से प्राप्त जानकारी के आधार पर सूचना भेजी जा सकती है।

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यदि संतोषजनक प्रतिसाद प्राप्त होता है, तो जांच समाप्त कर दी जाएगी। हालांकि, यदि आपको उचित जवाब नहीं मिलता है, तो गहरी जांच की दिशा में निर्देश दिए जाएंगे। यदि किसी प्रकार की गड़बड़ी मिलती है, तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है। अक्सर SFT के डेटा प्रस्तुत करने में विभागों द्वारा देरी होती है। इस पर ध्यान देते हुए, 31 मई को समय सीमा निर्धारित की गई है।

Income Tax विभाग के अनुसार, प्रॉपर्टी और घर खरीदने से संबंधित रजिस्ट्री सभी रजिस्ट्रार ऑफिसों में की जाती है। अगर कोई व्यक्ति 30 लाख रुपए से अधिक की प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवाता है, तो उसे इसकी जानकारी प्रदान करनी होती है। यही नहीं, बैंक, सहकारी बैंक, एनबीएफसी, शेयर बाजार के व्यापारी, म्यूचुअल फंड के ट्रस्टी, विदेशी मुद्रा विनिमय डीलर आदि, ये सभी इस प्रक्रिया में शामिल होते हैं।

टैक्स की चोरी करने वालों

Income Tax द्वारा यह नियम लागू किया गया है ताकि कर चोरी और गुमराह तरीकों से खर्च करने वाले व्यक्तियों को पकड़ा जा सके। सभी संगठनों और संस्थानों में खर्च की सीमा निर्धारित होती है, ताकि यदि अधिक लेनदेन होते हैं, तो वे संस्थान या संगठन को इसकी जानकारी आयकर विभाग को प्रस्तुत करनी हो।

आयकर विभाग द्वारा इस डेटा को व्यक्ति की आयकर रिटर्न से मिलान किया जाता है। यदि उस खर्च की जानकारी आयकर रिटर्न में नहीं दी गई है, तो उसे अघोषित माना जाता है। इसके पश्चात्, आयकर विभाग द्वारा एक नोटिस भेजकर इस संबंध में जानकारी मांगी जाती है। अगर किसी व्यक्ति एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपए या उससे अधिक कैश सेविंग्स अकाउंट में जमा या निकालता है, चाहे वह एक ही खाते से हो या एक से अधिक खातों से, तो यह नियम लागू होगा। 10 लाख या उससे अधिक कैश का उपयोग करके डिमांड ड्राफ्ट, पे ऑर्डर, या बैंकर चेक बनवाने पर भी यह नियम लागू होता है।

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50 लाख या उससे अधिक कैश का उपयोग करके Current Account में जमा करवाने या निकालने, एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख से अधिक की फिक्स्ड डिपॉजिट करवाने, एक लाख से अधिक का क्रेडिट कार्ड बिल नकद में जमा करवाने, 10 लाख से अधिक का क्रेडिट कार्ड बिल जमा करवाने, 2 लाख से अधिक नकद पैसे देकर कोई सामग्री या सेवा खरीदने आदि पर यह नियम लागू होता है।

 

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