जानिए बच्चों के Heart Attack के अच्छूक कारण, रोकने के उपाय हिंदी में

Harjinder Singh
Harjinder Singh  - News Editor
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Heart Attack Causes In Children

कोरोना महामारी के प्रभाव के बाद, हमने देखा है कि लोगों के बीच हार्ट अटैक संबंधित खबरें अधिक दिखाई देने लगी हैं। इस बात का आश्चर्यजनक पहलू यह है कि यह परेशानियां सिर्फ बड़े बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं रही हैं, बल्कि छोटे बच्चों को भी प्रभावित कर रही हैं।

आपके ज्ञान के अनुसार, हार्ट अटैक का परेशानी उस समय उत्पन्न होता है जब हमारे दिल को सही तरीके से खून पहुंचाने में समस्या होती है, जिसे कार्डियेक अरेस्ट कहा जाता है। यह बीमारी तुरंत मौत का कारण भी बन सकती है, और अब यह बीमारी छोटे बच्चों में भी दिखाई देने लगी है, जो एक चिंता का सबब बन गया है। इसलिए, इस विषय में आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ख्याल रखना आवश्यक हो सकता है।

बच्चों में कार्डियेक अरेस्ट की वजहें

अक्सर हम देखते हैं कि बच्चे खेलते-खिलते गिर जाते हैं, जिसके कारण उन्हें छाती पर चोट लग सकती है। ऐसा होने से उनकी छाती पर तुरंत प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि चोट लगने के कारण ब्लड सर्कुलेशन में असुविधा हो सकती है। हमने अक्सर सुना है कि नवजात शिशु सोते समय अचानक मौत हो जाती है। इसकी विशेष कारण है कि वे सोते समय करवट लेते हैं, जिससे अचानक सांस रुकने का खतरा होता है और इससे उनकी मौत हो सकती है।

हार्ट पर आ सकता है प्रेशर

हेल्थ एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स के अनुसार, नवजात शिशु को जन्म के समय से ही निमोनिया और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा होता है। इस समय, उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए क्योंकि इस परिस्थिति में बच्चों के बीच संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ सकता है, जिससे उनके दिल पर दबाव आ सकता है।

जन्मजात बीमारियों की वजह

कई बार बच्चों को जन्म से ही दिल से संबंधित समस्याएं होती हैं, जिससे उनको सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। इस प्रकार की स्थिति को “कंजेनाइटल हार्ट डिफेक्ट” कहा जाता है। इस स्थिति में बच्चों के शरीर में पूरे तरीके से खून पहुंचाने में समस्या होती है, जिससे उनकी मौत हो सकती है।

हार्ट अटैक की हालत में क्या करें

अगर आप देख रहे हैं कि आपके बच्चे को सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही है, तो आप उसे तुरंत जमीन पर सीधा लेटा दें और अपने दोनों हाथों की मदद से सीपीआर देने का प्रयास करें, और जितनी जल्दी हो सके, किसी व्यक्ति को अस्पताल ले जाएं। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप बच्चे से जोर-जोर से बात करें ताकि उसका ध्यान भटकने से बच सके, और ऐसा करके आप बच्चे की जान को बचा सकते हैं।

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