वर्तमान समय में, भारत के साथ ही पूरी दुनिया की नजरें भारतीय चंद्रयान-3 मिशन पर हैं। आज चंद्रयान-3 मिशन के लिए बड़ा दिन है, क्योंकि आज इस मिशन के तहत चंद्रमा की सतह पर उपक्रम किया जाएगा। इस दिन, चंद्रयान-3 अपने ऑर्बिट को फिर से समायोजित करने और अंतिम प्रक्रिया को पूरा करने के लिए उत्सुक है। आज सुबह 8:30 बजे, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इस महत्वपूर्ण कार्यान्वयन को पूरा करने के लिए क्रियाशील होगा।
इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य ISRO द्वारा चलाई जा रही है, जिसमें प्रणोदन और लैंडर को चंद्रमा के चारों ओर लगभग 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यह ऑपरेशन Chandrayaan-3 मिशन के अगले चरण की ओर प्रगति का संकेत है और इसका महत्व अत्यधिक होगा। इस प्रक्रिया में, लैंडर को प्रणोदन से अलग करने की कठिन प्रक्रिया को शामिल किया जाएगा। प्रणोदन मॉड्यूल चंद्रमा के आस-पास अपनी कक्षा में रहेगा, जबकि लैंडर एक ‘डीबूस्ट’ प्रक्रिया से गुजरेगा, जिसमें एक बड़ी और जटिल ब्रेकिंग प्रक्रिया को लागू किया जाएगा।
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इस युद्धाभ्यास लैंडर को विशेष सावधानी से तैयार किया है ताकि उसकी गति को धीरे-धीरे कम किया जा सके और वह चंद्रमा की सतह पर आराम से लैंडिंग कर सके। इसके पूर्व, सोमवार को इसकी कक्षा को घटाया गया था। 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद, चंद्रयान-3 की कक्षा को चौथी बार बदल दिया गया है। सोमवार से पहले, 6 और 9 अगस्त को भी इसकी कक्षा में बदलाव किया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर लैंडर और रोवर को सॉफ्ट लैंडिंग करवाने का प्रस्ताव है। 14 जुलाई को प्रक्षिप्त चंद्रयान-3 ने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। इसके बाद, 5, 6, 9 और 14 अगस्त को इसकी कक्षा को संशोधित किया गया है। 23 अगस्त को सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के बाद, भारत ऐसा करने वाला चौथा राष्ट्र बनेगा जो चंद्रमा पर सतह पर सावधानीपूर्वक लैंडिंग करेगा।