माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पर बात करते समय, हम सबके दिमाग में पहले नाम आता है। लेकिन यह तथ्य है कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना आसान काम नहीं है। इसके साथ ही, इस सफलता की प्राप्ति के लिए कई संघर्षों का सामना करना पड़ता है, और यहाँ तक कि कई लोगों की मौत भी हो गई है।
माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई को पार करना वास्तविकता में कठिन है, लेकिन शेर्पा और हिलेरी जैसे वीरों ने इस कठिनाई का सामना कर उसकी शिखर को छूने का संघर्ष किया था। इसके बाद, कई और यात्री भी इस कठिन मार्ग पर कदम रख चुके हैं। हालांकि, ताज़ा जानकारी के अनुसार, माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई एक सपना बन कर रह जाएगी, क्योंकि नेपाल सरकार ने इस चुनौतीपूर्ण पर्वतारोहण के लिए फ़ीस में वृद्धि की है। ऐसा हमारे सूत्रों से पता चला है।
2025 में बढ़ सकती है फीस
यदि हम इस विषय पर चर्चा करें, तो नेपाल सरकार की ओर से 2025 के दौरान रॉयल्टी पैकेज में फीस की वृद्धि की संभावना है, ऐसा हमारे सूत्रों से ज्ञात हुआ है। यहाँ तक कि नेपाल सरकार की बयान है कि अब रॉयल्टी पैकेज की फीस को 15,000 डॉलर में बढ़ाया जाएगा, हालांकि अब तक केवल 12,000 डॉलर आम व्यक्ति को भुगतान की जा रही है। इससे, भारतीय मुद्रा में यह रकम 12,47,000 रुपये हो जाएगी।
यदि हम पहले देखें, तो 2015 के दौरान नेपाल सरकार ने रॉयल्टी पैकेज में उतार-चढ़ाव की प्रक्रिया को अपनाया था, और अब 2025 में भी ऐसा होने की संभावना है। लेकिन यह देखने के लिए है कि कैबिनेट ने इस आवेदन को अब तक मंजूरी नहीं दी है। इसके परिणामस्वरूप, इस पैकेज में बदलाव हो सकता है, या फिर नहीं।
क्यों मुश्किल है माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई
माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई क्योंकि यह पहाड़ी सीधी नहीं है, इसलिए थोड़ी मुश्किल होती है। जब आप ऊपर की ओर चढ़ने लगते हैं, तो तापमान बदल जाता है और अचानक वायुमंडलीय दबाव भी बढ़ जाता है। इसके साथ ही ऑक्सीजन की मात्रा भी कम होने लगती है।
पहाड़ पर अचानक आई आंधी या तूफान की स्थिति सामान्य है, लेकिन चढ़ाई के दौरान यह कई समस्याओं का कारण बनती है। अगर आप माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की योजना बना रहे हैं, तो आपको ध्यान देना चाहिए कि इस क्रिया में कम से कम एक से डेढ़ हफ्ते लग सकते हैं।